Times of India Success Story in Hindi : भारत में शायद ही कोई ऐसा शख़्स होगा जिसने आज तक टाइम्स ऑफ इंडिया का नाम नहीं सुना। Times of India भारत के अब तक के सबसे बड़े Newspaper में से एक हैं। Audit Bureau of Circulation (India) के मुताबिक Times of India भारत का तीसरा सबसे बड़ा अखबार और दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा बिकने वाला अंग्रेजी अखबार है।
आप सभी Times of India के बारे में तो जानते ही हैं। लेकिन की आप Times of India की History जानना चाहते हैं। Times of India आज जिस स्तर पर हैं वह शुरुआत से ही वहा पर नहीं था। आज हम आपको Times of India की Success Story बताने वाले हैं। तो चलिए बिना देरी किये शुरू करते हैं।
Times of India Success Story in Hindi – टाइम्स ऑफ इंडिया की सफलता की कहानी
Times of India की सफलता की कहानी की शुरुआत 1838 में हुई थी। टाइम्स ऑफ इंडिया का पहला न्यूज़पेपर 3 नवम्बर 1938 को जारी किया गया था। उस समय पर Times of India का नाम The Bombay Times and Journal of Commerce हुआ करता था।
उस समय यह News Paper केवल बुधवार और शनिवार को ही आया करता था। उस समय इस न्यूज़पेपर का डायरेक्शन ‘रावबहादुर नारायण दीनानाथ वेलकर कर रहे हैं। रावबहादुर ब्रिटेन और दुनिया के साथ-साथ भारतीय उपमहाद्वीप के समाचार भी न्यूज़पेपर में शामिल करते थे। उस समय टाइम्स ऑफ इंडिया के एडिटर J.E. Brennan हुआ करते थे।
अंग्रेजी के प्रसार और उस समय लोगो में अंग्रेजी सीखने व सभ्य बनने की धुन सवार होने कर कारण धीरे धीरे यह न्यूज़पेपर फैलता गया। साल 1850 तक यह न्यूज़पेपर रोजाना प्रकाशित होना शुरू हो गया।
साल 1860 में Robert Knight ने इस न्यूज़पेपर के भारतीय शेयर होल्डर्स के अधिकार (शेयर्स) को ख़िरद लिया और इसे Bombay Standard से जोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने भारत की पहली News Agency शुरू की।
Robert Knight ने इस अखबार को पूरे देश में फैलाने का काम किया और Reuters News Service का भारतीय एजेंट बन गया। Robert Knight के समय में Times of India काफी तेजी से फैला। साल 1961 में Robert Knight ने Bombay Times का नाम बदलकर The Times of India रख दिया।
Robert Knight उन लोगो में से नही थे जो सरकार के द्वारा खरीद लिए गए। उन्होंने हमेशा प्रेस के स्वतन्त्र होने पर बल दिया। उनका मानना था की प्रेस का हमेशा स्वतन्त्र होना और देश की जनता की सच पता होना चाहिये।
Robert Knight हमेशा सरकार, व्यावसायिक हितों और सांस्कृतिक प्रवक्ता द्वारा किए गए प्रयासों का विरोध करते थे। Robert के बाद भी टाइम्स ऑफ इंडिया काफी हद तक उनकी नीतियों पर चलता रहा। 19वी शताब्दी में टाइम्स ऑफ इंडिया के अधीन करीब 800 लोग काम करने लगे। इनमे से कुछ यूरोप में थे तो कुछ भारत में।
1892 में Thomas Jewell Bennett नाम के एक अंग्रेजी पत्रकार ने Frank Morris Coleman की साथ मिलकर Times of India को खरीद लिया। यह उन्होंने उनकी नई Joint Stock कम्पनी Bennett, Coleman & Co. Ltd. के लिए किया था।
इस न्यूज़पेपर को Stanley Reed ने 1907 से लेकर 1924 तक एडिट किया। बेहतरीन खबरों और जनता को सच बताने के लिए वह गांधीजी और देश की बड़ी हस्तियो से पत्र व्यवहार किया करते थे।
वह करीब 50 वर्ष तक भारत में रहे। वह संयुक्त राज्य में भारतीय करंट अफेयर्स के सिलसिले में एक्सपर्ट माने जाते थे। बता दे की यह वही शख्श थे जिसने जयपुर को Pink City का नाम दिया।
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Times of India कैसे सफल हुआ है ?
साल 1946 में Times of India की पैरेंट कंपनी Bennett, Coleman & Co. Ltd को रामकृष्ण डालमिया ने खरीद लिया। लेकिन कुछ विवादों के चलते उन्हें तिहार जेल में जाना पड़ा। उस समय वह जेल में कम और हॉस्पिटल में ज्यादा रहा करते थे। उनके छूटने के बाद यह कम्पनी उनके दामाद साहू शांति प्रसाद जैन ने सम्भाली।
1960 के दशक की शुरूआत में साहू शांति प्रसाद जैन को ब्लैक मार्केट में न्यूजप्रिंट बेचने के लिए पकड़ लिया गया। इसके बाद इस अखबार को सरकार के अधीन ही ले लिया गया और बॉम्बे के हाई कोर्ट जज को चैयरमेन बनाया गया।
इसके बाद 1976 में भारत में आपातकालीन स्थितियों के दौरान सरकार ने Times of India अखबार की Ownership साहू शांति प्रसाद जैन के बेटे अशोक कुमार जैन को सौप दी। लेकिन उनके ऊपर भी money scam को लेकर कुछ आरोप थे जिनकी 1998 में सुनवाई की गयी।
उनके ऊपर 1.25 मिलियन डॉलर्स के funds को स्विजरलैंड के किसी अकॉउंट में transfer करने का आरोप था। लेकिन Times of India समय के साथ साथ लगातार फैलता गया। अभी Ashok इसके चेयरमैन हैं और उनका परिवार मिलकर The Times Group को संभाल रहा हैं।
साल 2006 में Vijayanand Printers Limited को खरीद लिया। उसी साल Times of India ने Vijay Karnataka, Usha Kiran और एक अंग्रेजी अख़बार Vijay Times को खरीद लिया। आज के समय में The Times of India देश के सबसे बड़े अखबारों में से एक हैं।
यह दुनिया के सबसे बड़े और ज्यादा बिकने वाले अंग्रेजी अखबारों की लिस्ट में भी शामिल हैं। भले ही इसके मालिक लगातार बदलते रहे लेकिन Times of India लगातार प्रगति करता रहा।
So Guys, उम्मीद हैं की आपको हमारी यह टाइम्स ऑफ इंडिया की सफलता की कहानी (Times of India Succes Story in Hindi) पसंद आयी होगी। अगर आप आगे भी ऐसे ही शानदार आर्टिकल्स पढ़ते रहना चाहते हैं तो हमारे फ्री न्यूज़लेटर को सब्सक्राइब करे।