आज हम एक बहुत ही अच्छे topic पर बात करने वाले है अगर आप economy के student है तो ये खास आपके लिये ही है Actully कई दोस्तों ने मुझे इस information के बारे में post करने के लिये कहा है तो मेने सोचा की क्यों ना जल्द ही इसके बारे में आपको बता दिया जाये तो चलिए आज का topic bank से releted है repo rate व् reveres bank rate और SLR एवं RCC के बारे में बात करने वाले है तो चलिये यहाँ आपको तोडा Mind लगाना होगा हम आपको आसान तरीके से बताएगे तो चलिये शुरु करते हैं।
commercial bank(Simple bank) जो अपने bank में पैसे की कमी आ जाने के कारण या फिर ज्यादा पैसे की जरूरत होने की वजह से उन्हें किसी अन्य bank से Loan लेना पड़ता है तो उनके पास एक option होता है की वो country bank India में RBI(Reserve Bank ऑफ इंडिया) से Loan ले तो वो RBI से कुछ Condition पर वो loan लेते है |
RBI की सिधी सी Condition होती है की पैसे के बदले वो उन्हें कुछ ख़ास दर पर ब्याज दे और कुछ एसी वस्तु गिर्वी रखे(आमतोर पर bonds शामिल है) ताकी अगर future में किसी कारणव्स Bank पैसे देने में असमर्थ हो तो उन bonds को को बेचकर वो अपनी राशि जमा कर सके commercial bank तय समय पर अपनी बकाया राशि ब्याज समेत वापिस लोटते है इसी को (एक बार फिर से बता देता हू जो bank rbi से loan लेते वो तय समय पर ख़ास ब्याज दर समेत लोटना ही repo rate कहलाता है) repo rate कहते हैं।
Repo Rate में बड़ोतरी – अगर RBI Reserve Bank अपने ब्याज दर में बडोतरी करता है तो क्या होगा आपको आसन भाषा में बताते है अगर ऐसा होगा तो commercial bank भी अपने ब्याज दर में बड़ोतरी करेगा इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा वो कम loan लेगे पैसे की कमी आ जायेगी और बाज़ार भी गिर जायेगा और वस्तुए भी सस्ती हो जाएगी
लेकिन फर्क कुछ नहीं पड़ेगा इससे क्युकी जनता के पास पेसो की कमी होगी bank अपनी दर और अधिक कर देगा और कोई भी loan नहीं लेगा तो जनता के पास कहा से पैसे आएगे अगर वो नॉकरी करेगे तो जो व्यापारी है उनके पास भी कहा से पैसे आयेगे क्युकी वो इतना महगांई बरा loan लेकर अपना business कैसे start कर सकते है
अगर करेगे तो जो profit होगा वो तो bank ही ले लेगा फिर बचा क्या loss हो जायेगा और ऐसा होगा तो india में विकास नहीं हो पायेगा और विकास नहीं होगा तो देश की अर्थव्व्स्ता खराब हो जाएगी। (अगर repo rate में बड़ोतरी होती है तो bank अपने ब्याज दर बड़ा देता है जिससे बाज़ार सस्ता और loan लेना महगां होता है)
Repo Rate,Reverse Repo Rate,CRR,SLR क्या है पूरी जानकारी हिंदी में ?
Repo rate में कमी – RBI Bank repo rate कम कर देता है तो commercial bank को रिजर्व bank से loan लेना आसान हो जाता है और वो सस्ता loan लेकर वह आम जनता को सस्ती ब्याज दर पर loan देता है जिसकी वजह से कुछ इस तरह Changes होते है व्यापारी अधिक पैसा bank से कर्ज में लेगे क्युकी ब्याज दर काफी कम है और अपने business में खर्च करेगे इससे कई लोग अपने business के लिए bank से loan लेगे
और व्यापार बड़ेगा और वस्तुए ज्यादा होने की वजह से बहुत महगी हो जाएगी और पैसा अधिक होगा तो वस्तुए के दाम भी अधिक हो जायेगे और बाज़ार अधिक महगें हो जायेगे जिससे आम जनता पर बहुत असर पड़ेगा उनके लिये दैनिक जीवन की वस्तुए भी लेना कठिन हो जायेगा और जो loan लेगे वो पैसों को फ़िजूल खर्च करेगे जिसकी जरूरत भी नहीं होगी उसने पैसे खर्च करेगे तो महगाईं तो बनी ही रहेगी चाहे ब्याज दर सस्ती हो या ज्यादा??
आप को समज आ रहा है या नहीं तो चलिये एक बार सरल तरीके से और बताते है RBI bank जब repo rate बड़ाते है तो और जो bank उनसे कर्ज में loan लेते हैं उसकी ब्याज दर ज्यादा हो जाती है और वो भी आम जनता यानी हमको भी ज्यादा ब्याज दर पर loan देगे
जिसकी घटना हम (यानी बाज़ार गीर जायेगा)आपको उपर बता चुके है एसा होगा तो क्या होगा और RBI ब्याज दर कम करते है तो loan सस्ता हो जायेगा और बाज़ार गिर जायेगा। पूर्ण रूप से स्पष्ट है की ब्याज कम हो या ज्यादा आम जनता हमेशा परेशानी में रहेगी)
पिछले कुछ वर्षो की सूची – 2011-13 में RBI(Reserve Bank ऑफ़ इंडिया) ने अपने repo rate में काफ़ी कमी कर दी थी जिसका नतिजा ये निकला की बाज़ार एक दम से down हो गया और सब कुछ तम सा गया और आख़िर में RBI को इसका संतुलन बनाने के लिये (2014)फिर से repo rate को बढ़ाना पड़ा और दुसरे bank की ब्याज दर को Reserve Bank ने बढ़ा दिया जिसका नतीजा सीधा हम लोगो पर बड़ा (आप समझदार है समज गये होगे कैसे हम पर इसका प्रभाव हुवा है)
लेकिन एक बात ध्यान देने योग्य है अगर ब्याज दर कम होगा तो हमारे लिये तो अच्छा ही होगा ना क्युकी India का विकास होगा हम आसनी से loan ले सकते है और कम ब्याज देकर वापीस चूका भी सकते है इससे आमजनता का कुछ बला होगा और ब्याज दर हमेशा कम ही रहनी चाहिए।
अब आपको मेरे तरीके से समजाता हु आप पतंजली को ही ले लीजिए अगर उसका जो उत्पातन है और उसकी कीमत बाज़ार में इतनी सस्ती करनी पड़ जाये तो वो उसके product को क्यों बनायेगा क्युकी बाज़ार में तो उसकी कोई कीमत ही नहीं हैं तो सीधी सी बात है वो अपना कारोबार बंद कर देगा।(क्युकी उसकी कोई dimand ही नहीं बची है)
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सरकार पर इसका क्या प्रभाव होगा – RBI जो की देश का Bank हे और वो सस्ती दर पर loan देगा तो सरकार के पास पैसों की कमी हो जाएगी और वो अपने देश के लिए कुछ भी invast नहीं कर पायेगे ना सरकारी school बनेगा ना ही hospitl और ना ही मुफ़्त दवाईया मिलेगी जिसका नतीज़ा India की public को भुगतना होगा ।
अब आप repo rate के बारे में जान चुके है अब बारी है reverse repo rate की तो आइये इसके बारे में भी जानते हैं reverse repo rate वह inrest rate है जो RBI commercial bank को loan देता हैं उसके बदले वो जरूरत पड़ने पर उन bank से पैसा उदार लेता हैं।(यानी RBI का दुसरे बैंको से पैसा उदार लेना ही reverse repo rate कहलाता हैं।)
commercial bank वेसे इतनी आसानी से किसी Bank को पैसे उदार नहीं देते लेकिन Reserve Bank बहुत ही चालक है वो उनको लोभ देता है की में तुमे ज्यादा ब्याज दर दुगा और तू मेरी जरूरत को पूरी कर तो वो Bank RBI को उदार पैसे दे देता है
और Reserve Bank पैसे के बदले अपने bonds को गिर्वी रख देता है की अगर में पैसे नहीं दे पाउगा तो तुम इन docoments को बाज़ार में बेचकर अपना धन वापिस ले लेना लेकिन ऐसा कभी नहीं हुवा है और ना होगा Reserve Bank अपना काम कर के उन Bank को ज्यादा ब्याज दर देता रहता है और 4-5 साल तक नहीं लोटाता और अपना काम हो जाने पर वो वापिस अपने bonds को वापीस ले लेता है
अब उन Bank को कोन बताये की जो पैसा rbi ने लिया था वो तो लोटाया नहीं और वो ब्याज को लाभ उटाथे रहते हैं ऐसा RBI जब करता है जब बाज़ार में तरलता यानि कमजोरी बढ़ जाती है तब वो commercial bank के पैसे कम कर देता है और जब बाज़ार बढ़ जाता है तब repo rate में कमी कर देता है ऐसा इसलिए ही किया जाता हैं।
यानी repo rate,reverse repo rate ,crr,का प्रयोग ब्याज दर कम व् बढ़ाने के लिए किया जाता हैं
लेकिन ब्याज घटाना तो सही है पर बढ़ाना आप सोचकर बताइए हमें???
जब आपके पास पैसे अधिक होगे तो आप बाज़ार से क्या क्या खरीदगे में बताऊ आप पहले bike लेगे smartphone और leptops और अपने लिये बहुत सारी बेकार की वस्तुये लेगे जरूरत के हिसाब से अधिक पैसे कतम कर देगे तो बाज़ार में महगाई होगी और आपके पास पैसे नहीं होगे तो आप नॉकरी तलाशेगे और कम से कम खर्च करेगे तब बाजार में काफी कम गिरावट होगी।
CRR (cash reverse ratio) उसे कहते है जो commercial bank को RBI के पास जमा रखना पड़ता हैं। जब बाज़ार में मुद्रा का अधिक प्रवाह हो जाता है तब Reserve Bank उसको कम करने के लिये अन्य Bank को fund देने से मना कर देता है(या फिर कहता है अब मेरे से एक पैसा भी मागा तो तुमारे लिये अच्छा नहीं होगा) और जो बकाया है उसकी ब्याज दर में बढ़ोतरी कर देता है ।
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इससे ये साफ है कि उनके पास cash की कमी हो जाती है व् नगधि की भी और Bank के पास पैसे की कमी आ जाती है जिससे वो जनता को पैसे नहीं दे पाते है और पैसे की कमी की वजह से लोगो के हाथ में पैसे की कमी होती है और वस्तुवो का मुल्य कम बात वही की वही आती है बाज़ार में गिरावट होती हैं अब इसके विप्रित Reserve Bank CRR का कम स्तर कर देगा तो आप जानते है क्या होगा? (चलो में ही बता देता हूँ मुद्रा का प्रहवा अधिक होगा और बाज़ार में बड़ोतरी होगी।)
SLR(Statutory Liquidity Ratio) – यह ठीक वेसे ही प्रयोग में आता है जेसे दुसरे बाकी के (repo rate,CRR, reverse repo rate) बस अंतर इतना हें ये सब case के रूप में(document)में Reserve Bank के पास जमा किये जाते है और SLR को gold(सोना) के रूप में अगर Bank के पास gold अधिक होगा तो case में कमी होगी और कम gold होगा तो case में व्रद्धी होगी।
Superb post
thank you and keep visit @akram isi tarah apna pyar aur support dete rahiye